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लेखनी कहानी -12-Feb-2024

दौहरी जिंदगी जीने लगी हूँ, मैं ओरों के जहन में चुभने लगी हूँ। मुस्कुराहट अब महज दिखावे की है, मैं अंदर ही अंदर टुटने लगी हूँ। कहने को साथ बहुत हैं मेरे, फिर भी भीड़ में अकेला पन महसूस करने लगी हूँ। रिश्तों के नाम पर हजार हैं मेरे साथ, लेकिन अंदर से कितनी अकेली हूँ, ये मैं अब महसूस करने लगी हूँ।

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3 Comments

Gunjan Kamal

13-Feb-2024 09:11 PM

👌👏

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Mohammed urooj khan

13-Feb-2024 01:15 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Khushbu

12-Feb-2024 11:36 PM

Nice one

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